आप के काबिल हम न थे मिला कुछ भी नही जिंदगी में दरिया तो पास थे मेरे पर लहरो के साहिल हम न थे... नजरें ढूंढती थी तुझे हर वक्त महसूस मैं तुझे करता था तेरी मासूमियत पे हम मरते थे तेरे जिस्म के काइल हम न थे आप के काबिल हम न थे... Rashid zafar aap ke kaabil hm na the... #poetry #poems