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जिस आँचल से खेल रहा तू, मेरे तन का कफन है बाबू और

जिस आँचल से खेल रहा तू, मेरे तन का कफन है बाबू
और ये तेरा खेल आखिरी, सांसें मेरी दफन है बाबू
अब तुझको ये गोद ना मिलनी, ना मिलनी तुझको आँचल ये
लल्ला तुझको छोड़ के मइया, इस दुनियाँ से विदा हुई
दुनियाँ जो कि निष्ठुर है, सीने में जिसके हृदय नहीं
जहाँ वास नही है इंसानों का, हैवानों से कायर सब
पापी सारे अत्याचारी, मैं अकेली अबला नारी
सब कहते हैं भूख ने मारा 
पर लल्ला जब तू काबिल होना, प्रश्न ये जोर से दोहराना
क्या भूख ने मुझको मारा था, या हत्यारा न्यायाधीश था बैठा
या समाज के सेवक सारे, ज्ञानी खुद को कहते जो और महलों में हैं रहते जो
किसने मुझको मारा था , क्या भूख ने मुझको मारा था
चुन चुन के हिसाब तू लेना ,हर दिन का इंसाफ तू लेना, पूछना सत्ताधीशों से
क्या भूख ने मुझको मार था
कैसी तेरी परवरिश हो , कैसे तेरे दिन बीतेंगे
किसकी गोद मे सिर रख के तू, लल्ला मेरा सोएगा
मृतशय्या पर पड़ी हुई हूँ, दिल पर तेरे पास है लल्ला
रोती हूँ मैं बिलख बिलख कर, जब भी छूता कफन तू लल्ला
काश कफन में जान भी होती, तुझको गले लगा मैं लेती
और ओढ़ के तेरे आलिंगन को, आख़िरी सांसें फिर मैं लेती 
और ओढ़ के तेरे आलिंगन को, आख़िरी सांसे फिर मैं लेती ।।

👆 मेरी कलम कुछ कहती है 👆
😢 रतनेश पाठक 😢 #nojoto #nojotoHindi #poem #protest #heartless #निरंकुशता
जिस आँचल से खेल रहा तू, मेरे तन का कफन है बाबू
और ये तेरा खेल आखिरी, सांसें मेरी दफन है बाबू
अब तुझको ये गोद ना मिलनी, ना मिलनी तुझको आँचल ये
लल्ला तुझको छोड़ के मइया, इस दुनियाँ से विदा हुई
दुनियाँ जो कि निष्ठुर है, सीने में जिसके हृदय नहीं
जहाँ वास नही है इंसानों का, हैवानों से कायर सब
पापी सारे अत्याचारी, मैं अकेली अबला नारी
सब कहते हैं भूख ने मारा 
पर लल्ला जब तू काबिल होना, प्रश्न ये जोर से दोहराना
क्या भूख ने मुझको मारा था, या हत्यारा न्यायाधीश था बैठा
या समाज के सेवक सारे, ज्ञानी खुद को कहते जो और महलों में हैं रहते जो
किसने मुझको मारा था , क्या भूख ने मुझको मारा था
चुन चुन के हिसाब तू लेना ,हर दिन का इंसाफ तू लेना, पूछना सत्ताधीशों से
क्या भूख ने मुझको मार था
कैसी तेरी परवरिश हो , कैसे तेरे दिन बीतेंगे
किसकी गोद मे सिर रख के तू, लल्ला मेरा सोएगा
मृतशय्या पर पड़ी हुई हूँ, दिल पर तेरे पास है लल्ला
रोती हूँ मैं बिलख बिलख कर, जब भी छूता कफन तू लल्ला
काश कफन में जान भी होती, तुझको गले लगा मैं लेती
और ओढ़ के तेरे आलिंगन को, आख़िरी सांसें फिर मैं लेती 
और ओढ़ के तेरे आलिंगन को, आख़िरी सांसे फिर मैं लेती ।।

👆 मेरी कलम कुछ कहती है 👆
😢 रतनेश पाठक 😢 #nojoto #nojotoHindi #poem #protest #heartless #निरंकुशता