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तुम कहती हो भूल जाओ मुझे पर साँसों के बिना साँस ल

तुम कहती हो 
भूल जाओ मुझे
पर साँसों के बिना साँस लेना
मुमकिन तो नहीं
जिस्मों का ही रिश्ता होता सिर्फ
तो इस जिस्म को कुर्बान कर देता
पर अपनी रूह का क्या करूँ
जो जनम-जनम तक रहेगा 
तुम्हारे इंतज़ार में
तुम ही बताओ
क्या तुम्हारे लिए मुझे भूलना आसान है क्या
अरे! पगली कितना भी छिपाओ
दिख ही जाता है
तुम्हारे भीतर का दर्द भी
तुम्हारी आँखों से
मैं हीं बसा हूँ तुम्हारे भीतर
और कोई नहीं
फिर क्यों नहीं करती कबूल मुझे
क्यों बढ़ा रही हो दूरियां हमारे दरमियाँ
कुछ तो कहो ना
मैं सब ठीक कर दूंगा
चुप क्यों हो
ये बेबसियाँ कैसी और 
क्या है मजबूरी तुम्हारी
कुछ मत कहना तो मत कहो
पर इतना यकीन कर लो
तुम रूह हो मेरी
और तुम्हारे बिना मेरा जीना  
अब मुमकिन नहीं भूल जाऊँ तुम्हे,ये मुमकिन नहीं
तुम कहती हो 
भूल जाओ मुझे
पर साँसों के बिना साँस लेना
मुमकिन तो नहीं
जिस्मों का ही रिश्ता होता सिर्फ
तो इस जिस्म को कुर्बान कर देता
पर अपनी रूह का क्या करूँ
जो जनम-जनम तक रहेगा 
तुम्हारे इंतज़ार में
तुम ही बताओ
क्या तुम्हारे लिए मुझे भूलना आसान है क्या
अरे! पगली कितना भी छिपाओ
दिख ही जाता है
तुम्हारे भीतर का दर्द भी
तुम्हारी आँखों से
मैं हीं बसा हूँ तुम्हारे भीतर
और कोई नहीं
फिर क्यों नहीं करती कबूल मुझे
क्यों बढ़ा रही हो दूरियां हमारे दरमियाँ
कुछ तो कहो ना
मैं सब ठीक कर दूंगा
चुप क्यों हो
ये बेबसियाँ कैसी और 
क्या है मजबूरी तुम्हारी
कुछ मत कहना तो मत कहो
पर इतना यकीन कर लो
तुम रूह हो मेरी
और तुम्हारे बिना मेरा जीना  
अब मुमकिन नहीं भूल जाऊँ तुम्हे,ये मुमकिन नहीं