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माजी कुछ बीते लम्हों ने हमे बागी बना रखा है, इस न

माजी

कुछ बीते लम्हों ने हमे बागी बना रखा है,
इस नादान दिल को मुरीद-ए-माज़ी बना रखा है।
कुछ जज़्बात थे जो बयान नही हो पाए,
कुछ अल्फ़ाज़ थे जो जुबान तक आ नही पाए,
हमारे दिल की कुछ दरारों ने हमे पाजी बना रखा है,
इस नादान दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है।

क्यूं आज भी तेरी राहों में जाने को जी करता है,
वही राहें जिन्हें कभी छोड़ नही पाये,
क्यूँ अब भी तेरी सोहबत में जीने को जी करता है,
जिस साथ से हम नाता कभी तोड़ नही पाये,
इस खलिश ने हमें आज भी सता रखा है,
इस नादान दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है।

अब तोड़नी होंगी सारी बेड़ियां जो जकड़े हैं हमें,
यादों की वो डोरियां जो अतीत में पकड़े हैं हमें,
तेरी याद,तेरी बेवफाई यूँ ही फ़िज़ूल नही जाएगी,
कलम से कागज पर उतरकर,शोहरत दिलाएगी अब हमें,

अब हमने भी इन यादों का बाज़ार सजा रखा है,
कद्र-दानो के लिए, दाम थोड़ा घटा रखा है,
वो आएं और सुने किस्से मेरे अतीत के,
शायद, इसीलिए दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है।
शायद, इसीलिए दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है #Life #wu #writersunplugged #maaji #Past #ateet #Poetry #Shayar #Poet
माजी

कुछ बीते लम्हों ने हमे बागी बना रखा है,
इस नादान दिल को मुरीद-ए-माज़ी बना रखा है।
कुछ जज़्बात थे जो बयान नही हो पाए,
कुछ अल्फ़ाज़ थे जो जुबान तक आ नही पाए,
हमारे दिल की कुछ दरारों ने हमे पाजी बना रखा है,
इस नादान दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है।

क्यूं आज भी तेरी राहों में जाने को जी करता है,
वही राहें जिन्हें कभी छोड़ नही पाये,
क्यूँ अब भी तेरी सोहबत में जीने को जी करता है,
जिस साथ से हम नाता कभी तोड़ नही पाये,
इस खलिश ने हमें आज भी सता रखा है,
इस नादान दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है।

अब तोड़नी होंगी सारी बेड़ियां जो जकड़े हैं हमें,
यादों की वो डोरियां जो अतीत में पकड़े हैं हमें,
तेरी याद,तेरी बेवफाई यूँ ही फ़िज़ूल नही जाएगी,
कलम से कागज पर उतरकर,शोहरत दिलाएगी अब हमें,

अब हमने भी इन यादों का बाज़ार सजा रखा है,
कद्र-दानो के लिए, दाम थोड़ा घटा रखा है,
वो आएं और सुने किस्से मेरे अतीत के,
शायद, इसीलिए दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है।
शायद, इसीलिए दिल को मुरीद-ए-माजी बना रखा है #Life #wu #writersunplugged #maaji #Past #ateet #Poetry #Shayar #Poet