वो हर दफा शायरी बनकर निकल आती है...!! इक मैं हूं कि उसे भुलाने की जिद किये रहा हूं...!! वो बेपरवाह ख्वाब बनकर चली आती है...!! इक मैं हूं कि हादसा समझकर डरे जा रहा हूं...!! वो सामने से हवा बनकर चली आती है...!! इक मैं हूं कि तूफानों से खौफ लगाये जा रहा हूं...!! वो कहानियों में शब्द बनकर चली आती है...!! एक मैं हूं कि उसकी बातों से परहेज किये जा रहा हूं...!! वो एहसास-ए-इश्क़ बनकर चली आती है...!! इक मैं हूं कि ताल्लुक़ात तोड़ने की साजिश रच रहा हूं...!! न जाने मैं ये क्या कर रहा हूं, क्यों कर रहा हूं...!! शायद इश्क़ को छोड़कर आसान जिंदगी की चाह किये जा रहा हूं...!! #नज़्म #इश्क़ #najootoo