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यादों को , बन्द किताबों में , पढ़ना भुल गया । धुल

यादों को ,
बन्द किताबों में ,
पढ़ना भुल गया ।
धुल के नीचे दबी है ,
देखना भुल गया  ।।

किस्मत की आशिक़ी भी
मुझसे ही है ,
खंडहर के नीचे दबी किताब को ,
हाथो में थमा गया ।। #सुप्रभात_वाली_गुड़मार्निग सभी को
#आज फिर उनसे यूँ ही मुलाकात हुई ।
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।
झनकती पायल ने बतलाई उसकी मजबूरी
खनकती चूडियों ने समझाई उसकी ये दूरी
आभा ये गालों की मिलन से फिर लाल हुई 
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।।
आज फिर उनसे यूँ ही मुलाकात हुई ।।
यादों को ,
बन्द किताबों में ,
पढ़ना भुल गया ।
धुल के नीचे दबी है ,
देखना भुल गया  ।।

किस्मत की आशिक़ी भी
मुझसे ही है ,
खंडहर के नीचे दबी किताब को ,
हाथो में थमा गया ।। #सुप्रभात_वाली_गुड़मार्निग सभी को
#आज फिर उनसे यूँ ही मुलाकात हुई ।
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।
झनकती पायल ने बतलाई उसकी मजबूरी
खनकती चूडियों ने समझाई उसकी ये दूरी
आभा ये गालों की मिलन से फिर लाल हुई 
खामोशी के कोनों में नैनों से बात हुई ।।
आज फिर उनसे यूँ ही मुलाकात हुई ।।
roshansah4790

Roshan Sah

New Creator