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कभी मेरा भी एक जमाना था सबको भोर में जगाना था सबसे

कभी मेरा भी एक जमाना था
सबको भोर में जगाना था
सबसे पहले निंद खुलती थी
जोर से बाग जो लगाना था
आज बस इंतजार करते हैं
बदन पर माँस मेरा बढ़ जाए
खिला रहें हैं पेट भर भोजन
उनका मक़सद हमें पकाना था

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #मुर्गा