डोर टूटने के बाद पतंग खुलकर उड़ी और कितनी देर तक उड़ी? वह तो बस हवा की मेहरबानी है. दयालुता अस्थायी है. फिर पतंग ने फिर कभी आसमान नहीं देखा। तथापि; यदि धागा न टूटा हो और वह किसी के अधीन हो तो? फिर शायद वह हर दिन उड़ेगा। किसी के वशीभूत होना भी जीवन की सार्थकता है । ©Niti Adhikari kite sahara