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ओ चाय का प्याला था ही मगर एक प्यार छुपा

ओ चाय का प्याला था ही मगर
          एक प्यार छुपा उस प्याले में....
जब आँख खुली तब पाया
                 माँ के हांथो में था प्याला
जब शाम को नुक्कड़ पर बैठु 
                  सबकी बातों में था प्याला
   एक चाह थी हर एक चुस्की में
             अहसास हुआ उस प्याले में......

 रिश्तो की पहचान सिखाकर
               ओ यादों में था प्याला
 तन्हाई रातो में सताए
              उस रातो में था प्याला
एक प्याले में बंध जाये जीवन 
         ओ पल है रुका उस प्याले में....
मनीष यादव (writer) #चाय_का_प्याला   Vallika Poet Monika Jayanti Kumari Upadhyay Dinesh Mahata Reshma Jabeen
ओ चाय का प्याला था ही मगर
          एक प्यार छुपा उस प्याले में....
जब आँख खुली तब पाया
                 माँ के हांथो में था प्याला
जब शाम को नुक्कड़ पर बैठु 
                  सबकी बातों में था प्याला
   एक चाह थी हर एक चुस्की में
             अहसास हुआ उस प्याले में......

 रिश्तो की पहचान सिखाकर
               ओ यादों में था प्याला
 तन्हाई रातो में सताए
              उस रातो में था प्याला
एक प्याले में बंध जाये जीवन 
         ओ पल है रुका उस प्याले में....
मनीष यादव (writer) #चाय_का_प्याला   Vallika Poet Monika Jayanti Kumari Upadhyay Dinesh Mahata Reshma Jabeen
manishyadav7155

Manish Yadav

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