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अजी, मन फिर टटोलिए हिचकी किसी और के नाम की तो नहीं

अजी, मन फिर टटोलिए
हिचकी किसी और
के नाम की तो नहीं 
याद कैसे करूँ मैं तुम्हें 
जब कभी भूली ही नहीं - अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी'

प्रवासीसंग्रह टैग पर कविता, ग़ज़ल, लघुकथा, हास्य, व्यंग इत्यादि रचनाएं उपलब्ध हैं। 

Instagram: amitabhrjha
Twitter: amitabhrjha
फेसबुक: amitabhrjha1
अजी, मन फिर टटोलिए
हिचकी किसी और
के नाम की तो नहीं 
याद कैसे करूँ मैं तुम्हें 
जब कभी भूली ही नहीं - अमिताभ रंजन झा 'प्रवासी'

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