गुल... ए गुल तू खिलता जा। खुशबू बरसाते जा।... कांटों पे पलना है। खिलकर मुरझाना है। एक दिन की जिंदगी मे, फलना तुझे फुलना है। चंद पल का मुसाफिर तू, सब को बहेलाते जा।... तू न सोच कहां जाना है। ये उस माली का फ़साना है। जाए भगवान की चरनो मे, या आरती को सजाना है। है वक्त का महेमां तू, जहां जाए बहरते जां।... कवीराज गुल...