मुझ तलक़ लौट आती सदाएँ मेरी सबको घेरे हुएँ हैं यों मजबूरियाँ रब खामोशियाँ कर मुझे तू अता मेरे सब्रे जहाँ का मुझे दे पता वो बढ़ता हुआ हाथ ख़्वाबों में था दिल करे भी तो क्या इस फ़क़त राख का कौन फुरसत में है वक़्त तू ही बता जिसको फुरसत रही वो मुझे आ मिला सियाही ये आँखों की उसको कलम जिसने लौ इक जलाकर अँधेरा लिखा #toyou#tothetea#ilovetea#yqlove#yqlonliness#yqsilencingvssilence