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मैं शाम हु तो क्या हसीन हु बिन तेरे.. मैं रात हु प

मैं शाम हु तो क्या हसीन हु बिन तेरे..
मैं रात हु पर वो सुकून कहाँ बिन तेरे..
.
कितना अजीब क़िस्सा है तेरा मेरा ज़िंदगी 
ग़म भी नहीं , ख़ुशी भी नहीं , अब उसकी ज़ुल्फ़ों के साए भी नहीं. 
.
हाँ बस एक शकस हु 
बिन तेरे..
चुप हु ,कहीं गुम हु, ख़ुद से अजनबी हु बिन तेरे..
इतना कुछ हु ज़िंदगी बिन तेरे 
फिर भी कुछ नहीं.
बिन तेरे , बिन तेरे , बिन तेरे...!!!
.
मैंने ये हक़ किसी को नहीं दिया के थामे कोई हाथ मेरा बिन तेरे..
मैंने अब तलक किसी को उस क़दर नहीं चाहा बिन तेरे..
ये भी एक शर्त थी
मोहब्बत में.
जिसकी राते नहीं कट्टी वो ज़िंदगी गुज़ारनी थी.
बिन तेरे, बिन तेरे , बिन तेरे...!!! #beautifulwords #yqpoetry #instawriters #innervoice #poetscommunity #poetsofinsta
मैं शाम हु तो क्या हसीन हु बिन तेरे..
मैं रात हु पर वो सुकून कहाँ बिन तेरे..
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कितना अजीब क़िस्सा है तेरा मेरा ज़िंदगी 
ग़म भी नहीं , ख़ुशी भी नहीं , अब उसकी ज़ुल्फ़ों के साए भी नहीं. 
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हाँ बस एक शकस हु 
बिन तेरे..
चुप हु ,कहीं गुम हु, ख़ुद से अजनबी हु बिन तेरे..
इतना कुछ हु ज़िंदगी बिन तेरे 
फिर भी कुछ नहीं.
बिन तेरे , बिन तेरे , बिन तेरे...!!!
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मैंने ये हक़ किसी को नहीं दिया के थामे कोई हाथ मेरा बिन तेरे..
मैंने अब तलक किसी को उस क़दर नहीं चाहा बिन तेरे..
ये भी एक शर्त थी
मोहब्बत में.
जिसकी राते नहीं कट्टी वो ज़िंदगी गुज़ारनी थी.
बिन तेरे, बिन तेरे , बिन तेरे...!!! #beautifulwords #yqpoetry #instawriters #innervoice #poetscommunity #poetsofinsta