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कभी आंँखों में ग़म कभी होठों पे मुस्कान , किसी के

कभी आंँखों में ग़म कभी होठों पे मुस्कान , किसी के आने की खुशी किसी के जाने का ग़म हजार
कभी अपनों की नफरत कभी अपनों का प्यार ,हर रोज लेते है जिंदगी से एक नई उलझन उधार,
कभी गिरता हूँ कभी उठता हूंँ कुछ बिगड़ता हूँ कुछ संवरता हूँ
मैं हर रोज जिंदगी के उलझनों भरी रेल से सफर करता हूंँ

 Challenge-92 #collabwithकोराकाग़ज़ 

4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :)

#उलझनोंकीरेल #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba YourQuote Didi YourQuote Baba Aरिफ़ Aल्व़ी  #YourQuoteAndMine
Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️
कभी आंँखों में ग़म कभी होठों पे मुस्कान , किसी के आने की खुशी किसी के जाने का ग़म हजार
कभी अपनों की नफरत कभी अपनों का प्यार ,हर रोज लेते है जिंदगी से एक नई उलझन उधार,
कभी गिरता हूँ कभी उठता हूंँ कुछ बिगड़ता हूँ कुछ संवरता हूँ
मैं हर रोज जिंदगी के उलझनों भरी रेल से सफर करता हूंँ

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