तेरी परछाई से ही, कभी कभी बतिया लेते हैं। तेरे ना होने के अहसास को बहका लेते हैं, तू नहीं है कहीं नहीं है ये जानते हैं हम, पर जब याद आती है तेरी हम दीवारों से ही बतिया लेते हैं।। #अंकित सारस्वत# #तेरी परछाई 2