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जो रोती थी तकिए पे सिर रख के वो अब मुस्कुराना सीख

जो रोती थी तकिए पे सिर रख के 
वो अब मुस्कुराना सीख गई है।
जो डरती थी अंधेरी गलियों से
वो अब अकेले चलना सीख गई है।
जो घबराती थी लोगो के तानों से 
वो अब बेबाक बोलना सीख गई है।
जो डरती थी ज़िन्दगी की ठोकरों से
वो अब खुद के लिऐ लड़ना सीख गई है।
ये आज की औरत अब अपने लिए आवाज 
उठाना सीख गई है।।

©जज़्बात #aaj ki aurat
जो रोती थी तकिए पे सिर रख के 
वो अब मुस्कुराना सीख गई है।
जो डरती थी अंधेरी गलियों से
वो अब अकेले चलना सीख गई है।
जो घबराती थी लोगो के तानों से 
वो अब बेबाक बोलना सीख गई है।
जो डरती थी ज़िन्दगी की ठोकरों से
वो अब खुद के लिऐ लड़ना सीख गई है।
ये आज की औरत अब अपने लिए आवाज 
उठाना सीख गई है।।

©जज़्बात #aaj ki aurat