हर कोई अपनी तासीर सा यहाँ है, इसलिए सबका मंज़र अलग सा रहा है। यूँ तो बसता है तू ज़र्रे-ज़र्रे में, मगर नजरिये का तो सारा खेल रहा है। जब ये सारी दुनिया ही तेरी है, तेरा कौन यहाँ दोस्त या दुश्मन रहा है! मैं मानता हूँ तू नहीं लिखता है किस्मत किसी की, ये तो बस मेहनत और समय का हेर-फेर रहा है। जहाँ मान लेता हूँ मैं, वहीं तो तू बसर कर रहा है, कभी मैं तो करूँ ख़ुद पर भरोसा, तू तो सदियों से कर रहा है। --- #yqkismat #yqsadee #yqbharosa #yqbhagvan #yqsaumitr #yqprayer #yqsamay