ठिकाने मिलते रहे हैं अरमानों के लिए मैं मन के ठहरने का छत ढूँढ रही हूँ ईंट के कई मकान को अपनाया है अब इंसानों में अपना घर ढूँढ रही हूँ बंजारन हूँ, रुकना नामुनासिब मानती हूँ हर खूबसूरत साथ मौसमी होता है जानती हूँ उम्र भर के वादे निभाने कौन थमे मैं सावन की कहानियों का असर ढूँढ रही हूँ मैं अब इंसानों में अपना घर ढूँढ रही हूँ #बंजारन #घर #ठहराव #latenightthoughts #yqbaba #yqdidi #yqdiary #yqhindi