Nojoto: Largest Storytelling Platform

बेक़स सी थी ये ज़मी मेरी, बेज़ार सी मुस्कान थी, ना आफ़

बेक़स सी थी ये ज़मी मेरी,
बेज़ार सी मुस्कान थी,
ना आफ़ताब था मेरी इन आँखों में कोई...और ना ही कोई शाम थी,,
बस मुक़म्मल सी मुलाक़त थी,
एक गुमराह,गुमसुम सी राह पर...
जहाँ चाहत थी,एहतियात थी पर,
शायद वह भी कोई फ़रियाद थी।

Nishu Maurya
#kaid ek awaz..... #bekas #bejar..#kaid ek kalam
बेक़स सी थी ये ज़मी मेरी,
बेज़ार सी मुस्कान थी,
ना आफ़ताब था मेरी इन आँखों में कोई...और ना ही कोई शाम थी,,
बस मुक़म्मल सी मुलाक़त थी,
एक गुमराह,गुमसुम सी राह पर...
जहाँ चाहत थी,एहतियात थी पर,
शायद वह भी कोई फ़रियाद थी।

Nishu Maurya
#kaid ek awaz..... #bekas #bejar..#kaid ek kalam