आसमान के माथे को आज चूम कर आते है जुर्रत का मांझा लेकर सूरज से पेंच लड़ते हैं मुट्ठी में भार कर बदल आज निचोड़े पानी सहरा का उसर रंग दें रंगत रोगन धानी बुने छाँव की रेशम से ऐसी सहर सुहानी तपिश धारा की मिट जाए गुलपोश रहे ये बानी कदम कदम पर उम्मीदों की ऐसी पौध लगाते हैं आसमान के माथे को आज चूम कर आते लगा के गोते गलियों में चल ढूंढ हुनर के मोती ध्रुव तारों की किस्मत भी कब तक रहेगी सोती चल पलटे सारे पासे जुलमत की काटे गोटी कपड़ा तन की तासीर बदल दे, पेट बदल दे रोटी चरखे पर सौ सूत चढ़े हैं, आशिक किसने काते हैं आसमान के माथे को आज चूम कर आते आसमान के माथे को आज चूम कर आते है जुर्रत का मांझा लेकर सूरज से पेंच लड़ते हैं वो किरणों से लिखी इबारत 21.. सूरज से पेंच लड़ते हैं #kavishala #hindinama #tassavuf #skand #kiranTh #wokirnoselikhiibarat #wo_kirano_se_likhi_ibarat #वो_किरणों_से_लिखी_इबारत #सूरज_से_पेंच_लड़ते_हैं