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संतोष (दोहे) खुश रहता इंसान वह, हो जिसको संतोष। ज

संतोष (दोहे)

खुश रहता इंसान वह, हो जिसको संतोष।
जीवन सुख से बीतता, रहे नहीं है दोष।।

भटक रहा इंसान है, घेरे माया जाल।
छूटा ये संतोष जो, चलता देखो चाल।।

हड़प रहा वह सम्पदा, थामे है हथियार।
छूट गया संतोष है, बदल गया व्यवहार।।

ग्रहण करे संतोष जो, कहते सभी सुजान।
पाप कर्म से दूर हो, तभी मिले सम्मान।।

जीवन में संकट बड़े, खोना मत संतोष।
इसको खोने से मिले, तुमको ही सब दोष।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #संतोष #दोहे #nojotohindi 

संतोष

खुश रहता इंसान वह, हो जिसको संतोष।
जीवन सुख से बीतता, रहे नहीं है दोष।।

भटक रहा इंसान है, घेरे माया जाल।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

New Creator

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