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प्रेम और प्रपंच में बहुत सूक्ष्म अंतर होता है।प्रे

प्रेम और प्रपंच में बहुत सूक्ष्म अंतर होता है।प्रेम जहाँ केवल देने की चाह रखता है वहीं प्रपंच सदैव पाने की राह ढूँढता है।प्रेम प्रतिफल या प्रतिकार की अपेक्षा से रहित स्थिर भाव से परिपूर्ण रहता है,जबकि प्रपंच सदैव अस्थिर जल की भाँति उछलता रहता है ।हम बड़ी सहजता से इन दोनों का भेद समझ सकते हैं।किंतु, पहले हमें स्वयं को प्रेम अथवा प्रपंच दोनों में से किसी एक को अटल भाव से अपनाना होगा।
.....आकाश प्रेम और प्रपंच
प्रेम और प्रपंच में बहुत सूक्ष्म अंतर होता है।प्रेम जहाँ केवल देने की चाह रखता है वहीं प्रपंच सदैव पाने की राह ढूँढता है।प्रेम प्रतिफल या प्रतिकार की अपेक्षा से रहित स्थिर भाव से परिपूर्ण रहता है,जबकि प्रपंच सदैव अस्थिर जल की भाँति उछलता रहता है ।हम बड़ी सहजता से इन दोनों का भेद समझ सकते हैं।किंतु, पहले हमें स्वयं को प्रेम अथवा प्रपंच दोनों में से किसी एक को अटल भाव से अपनाना होगा।
.....आकाश प्रेम और प्रपंच