हज़रते जामी का इश्क़ ए रसूल*
*तेरे इश्क़ ने बख्शी है ये सौगात मुसलसल*
*तेरा ज़िक्र हमेशा तेरी बात मुसलसल*
हज़रत मौलाना जामी र.अ. एक बड़े पाऐ के बुज़ुर्ग और आशिक़ ए रसूल हुएं हैं।एक बार नात लिखने के बाद जब वो हज के लिए तशरीफ ले गए तो उनका इरादा ये था कि रौज़ा ए अक़दस के पास खड़े होकर इस नात को पढ़ेंगे !
चुनान्चे हजे बैतुल्लाह शरीफ के लिए तशरीफ ले गए और हज से फारिग़ होकर मदीना मुनव्वरा की हाज़िरी का इरादा किया तो अमीरे मदीना को ख्वाब में नबी ए करीम स.अ.व. की ज़ियारत नसीब हुई,आपने इरशाद फ़रमाया :कि इसको यानी जामी र.अ.को मदीना तय्यबा की जानिब ना आने दें ,
हुक्म सुनकर अमीरे मदीना ने ऐलान करवा कर मौलाना जामी रह. की मदीने में दाखिले पर पाबंदी लगा दी- मौलाना जामी बड़े पाए के आशिक़े रसूल थे,उनके दिल पर इश्क़े नबी ए अकरम इस क़द्र ग़ालिब था कि छुप कर मदीना तय्यबा की जानिब चल पड़े, कुछ सीरत निगार लिखते हैं कि क़ाफिले में एक संदूक़ में बंद हो गए, लेकिन फिर भी अमीरे मदीना ने जाने ना दिया।
और कुछ लिखते हैं कि भेड़ों के रेवड़ में उनकी खाल ओढ़ कर चलते चलते मदीना तय्यबा में दाखिल होने लगे, फिर भी नबी ए पाक के हुक्म से अमीरे मदीना ने आने ना दिया !
जब दोबारा अमीरे मदीना को नबी ए पाक की ज़ियारत हुई और फ़रमाया कि जामी को मेरे रौज़े पर बिल्कुल ना आने देना । #Life#nojotohindi#dilkibaat#great#myvoice#indiawriter#islamicnaat#nojoto2021#shamawrite#wforwrite