बांस से बांस की रगड़ जंगल की आग है जो, ये बसंत और बसंती हवा गांव -गांव घर भी दाग है जो, दिल तलक में भी फैले तो बुरा क्या,दिल बाग -बाग है जो, धू-धू जलती है होलिका, छेड़ धू-धू धूम फाग राग है जो, होली है। ये जवानी है बदन जो, वो भी गर्मी है, जो धुआं आंखों है,दिल की बस नर्मी है, सपनों का धुंधलका, मोती ही होगा भीतर,सागर झाग है जो। लो कहानी दी कहे जो मेरे दिल की है, तुम जबां खोलो,सुनो जाती खुले हल्की है, होना फिर तहलका,है मचना, रचना रास ही जहां छिड़ना फाग है जो। होली है, होली है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #फाग राग ! #Colors