मैं मोहोंब्बत की इतनी सज़ा बन गया तू मेरी ना बनी मैं तेरा बन गया तेरी थी ये रज़ा मैं दिखूं चाँद मैं तो मैं मर कर तेरी ही रज़ा बन गया घाव गहरा है पर अब दिखाता नही याद आती है पर अब बताता नही तू है कहती मैं इश्क़ निभा ना सका मैं निभाता हूँ बस अब जताता नही इतना कसकर गले यूँ लगाया था क्यों मुझको तूने ओ पगली रुलाया था क्यों दिल की दहलीजों से मुझको ठुकरा दिया गोद में अपनी फिर यूँ सुलाया था क्यों तू गई एक दिन ज़ख्म गहरा हुआ मैं अभी भी वही पे हूँ ठहरा हुआ तुझको रोका बहोत चीखते - चीखते बस उसी वक्त से हूँ मैं बहरा हुआ लफ्ज़ ही अब है क्या चंद बातें ही है अब मुलाकाते तेरी तो यादें ही है पहले तुम थी तो आँसू पता ही ना थे अब तो आँसू भी लगते कि कांटे ही है #RDV19