तुफान थम गया, शांत सब हो गया। अब हिसाब लगाना, हमारा क्या बचा और क्या हमने खो दिया। पेड न जाने कितने उखड़ गए, जिनमें छोटे घर थे वो उजड़ गएँ। हम पत्थरों के घर में खुश रहे, सोचा अच्छा हुआ हम बच गए। किनारों पर जो घर थे, उनके छत हवा उडाकर ले गयी। सही समय पर घर छोड़ा, इसलिए जान बच गयी। अब फिर नई उम्मीद से फिर नया घर बनाएंगे। पंछी हो या इंसान, हम सब फिर मुस्कुराएंगे। नितिन गणगे #letter #तुफान #Cyclone #hindipoet