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|| श्री हरि: || 71 - अभियोग 'मैया। दाऊ को मार तो

|| श्री हरि: ||
71 - अभियोग

'मैया। दाऊ को मार तो तू।' संध्या के समय गोचारण से लोटा धूलि धूसर श्याम मैया के पास दौड़ा आया और मैया का एक हाथ पकड़कर दाऊ की ओर देखने लगा। दाऊ चकित से रह गये हैं। आज अपने छोटे भाई से उनका कोई झगड़ा तो हुआ नहीं, फिर पहुंचते ही कनूं यह कौन से अभियोग की भूमिका बना रहा है?

'तुमने अपने छोटे भाई को खिझाया है?' मैया हंसती-सी दाऊ से पूछने लगी।

'नहीं मैया।' कूष्णचंद्र बीच में ही बोला। 'दाऊ दादा खेलने-खेलते थक गया था। मैं कहता था कि सुबल की गोद में सिर रखकर तमाल के नीचे सो जा, मैं तेरे पांव दबा दूं। यह मेरी बात कभी झटपट नहीं मानता। देख इसके चरण कितने लाल-लाल हो गये हैं। तू इसे मार, मैया।'
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 71 - अभियोग 'मैया। दाऊ को मार तो तू।' संध्या के समय गोचारण से लोटा धूलि धूसर श्याम मैया के पास दौड़ा आया और मैया का एक हाथ पकड़कर दाऊ की ओर देखने लगा। दाऊ चकित से रह गये हैं। आज अपने छोटे भाई से उनका कोई झगड़ा तो हुआ नहीं, फिर पहुंचते ही कनूं यह कौन से अभियोग की भूमिका बना रहा है? 'तुमने अपने छोटे भाई को खिझाया है?' मैया हंसती-सी दाऊ से पूछने लगी। 'नहीं मैया।' कूष्णचंद्र बीच में ही बोला। 'दाऊ दादा खेलने-खेलते थक गया था। मैं कहता था कि सुबल की गोद में सिर रखकर तमाल के नीचे सो जा, मैं तेरे पांव दबा दूं। यह मेरी बात कभी झटपट नहीं मानता। देख इसके चरण कितने लाल-लाल हो गये हैं। तू इसे मार, मैया।' #Books

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