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बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे ज़माने की बेजा

बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे
ज़माने की बेजा रिवायतों का लिहाज न कर।

बड़े अर्से बाद मिला है सिर्फ मुझसे तू,
यूं जाने की बातें आज न कर।

ख़ामोश लबों से कहनी हैं बातें दिल की,
तू सीने में सर रख आवाज़ न कर।

करने दे शरारतें मेरे हाथों को जुल्फ़ों से,
बेवजह रोक-टोक कर इन्हें नाराज़ न कर।

दर्द-ए-इश्क में मरहम शराब है,
ये ज़ख्म खुला रहने दे इलाज न कर।

 बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे
ज़माने की बेजा रिवायतों का लिहाज न कर।

बड़े अर्से बाद मिला है सिर्फ मुझसे तू,
यूं जाने की बातें आज न कर।

ख़ामोश लबों से कहनी हैं बातें दिल की,
तू सीने में सर रख आवाज़ न कर।
बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे
ज़माने की बेजा रिवायतों का लिहाज न कर।

बड़े अर्से बाद मिला है सिर्फ मुझसे तू,
यूं जाने की बातें आज न कर।

ख़ामोश लबों से कहनी हैं बातें दिल की,
तू सीने में सर रख आवाज़ न कर।

करने दे शरारतें मेरे हाथों को जुल्फ़ों से,
बेवजह रोक-टोक कर इन्हें नाराज़ न कर।

दर्द-ए-इश्क में मरहम शराब है,
ये ज़ख्म खुला रहने दे इलाज न कर।

 बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे
ज़माने की बेजा रिवायतों का लिहाज न कर।

बड़े अर्से बाद मिला है सिर्फ मुझसे तू,
यूं जाने की बातें आज न कर।

ख़ामोश लबों से कहनी हैं बातें दिल की,
तू सीने में सर रख आवाज़ न कर।