बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे ज़माने की बेजा रिवायतों का लिहाज न कर। बड़े अर्से बाद मिला है सिर्फ मुझसे तू, यूं जाने की बातें आज न कर। ख़ामोश लबों से कहनी हैं बातें दिल की, तू सीने में सर रख आवाज़ न कर। करने दे शरारतें मेरे हाथों को जुल्फ़ों से, बेवजह रोक-टोक कर इन्हें नाराज़ न कर। दर्द-ए-इश्क में मरहम शराब है, ये ज़ख्म खुला रहने दे इलाज न कर। बेफिक्र हो आया कर ख्वाबों में मेरे ज़माने की बेजा रिवायतों का लिहाज न कर। बड़े अर्से बाद मिला है सिर्फ मुझसे तू, यूं जाने की बातें आज न कर। ख़ामोश लबों से कहनी हैं बातें दिल की, तू सीने में सर रख आवाज़ न कर।