" नशे में उड़ती ज़िन्दगी '' बीड़ी ,सिगरेट, तम्बाकू ,गुटका , चेनी,खैनी ,शराब ..... बन्द करवाये सरकार। ना जाने इससे खराब होते, कितने रिश्ते और घर - परिवार। रोके - टोके अगर नारी व परिवार, दुश्मन लगे उसको वो संसार । खुद भी वो कितने रोगों का उपहार है पाता, साथ में देता आस-पास के लोगों को भी रोगों का उपहार। समझता जीवन को भी वो जैसे हो गया हो खुशहाल। पर जाने - अनजाने पाता वो दुःख-रोगों का उपहार , छोड़ो नशा और करलो प्रकृति से प्यार । नशे से रहो दूर सदा , नशा नहीं जीवन का आधार। कितनी सुंदर है प्रकृति, और सुंदर है संसार । है कण-कण में सुंदरता , जो है प्रकृति का उपहार । इसके कण-कण में है संगीत बसा, है इसी से संसार । नशा अगर है करना तो... करो सद्कर्मों का नशा अपार। जो जीवन को तुम्हारे करे रोशन और खुशियाँ दे अपार। धन्य हो जन्मदात्री तुम्हारी और याद करे संसार । नशा छोड़े और खुशहाल रहें.....