बाहर ढोल बज रहे, मन में शोर बहुत है, बांवरा मन कैसे समझे, ये बाहर का है या भीतर का शोर। बाहर गरमी बहुत है, अंदर उदासी बहुत है, जाने कैसे समझाऊँ, मौसम है चित्तचोर। बाहर बरखा बहार, भीतर नैनो की फुहार, जाने कौन तड़प रहा, मन मेरा या मेघ की पुकार? नाचे मयूर कैसे बिन पायल, रिमझिम बरखा बनी है ताल, कोमल मन जाने कुछ ना, समझे बस धड़कन की चाल । Chand ki koshish #yqhindi #yqshayari #yqpoetrystorieslife #yqdiary #yqtales #yq