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प्रकृति के विलाप को, हम समझ नही पाए। बन कॉरोना धर

प्रकृति के विलाप को,
हम समझ नही पाए।
 बन कॉरोना धरा पे,
 बहते हुए आंसू आए।
हम घरों में रह रहे,
पर, देश को बचाने वो,
 पत्थरों को सह रहे,
पंचम काल की महामारी को,
तुमको पार लगाना होगा,
मुनि धर्म की रक्षा हेतु,
भगवन तुमको आना होगा... *भगवन तूमको आना होगा* #तात्कालिक_रचना  #Ar
प्रकृति के विलाप को,
हम समझ नही पाए।
 बन कॉरोना धरा पे,
 बहते हुए आंसू आए।
हम घरों में रह रहे,
पर, देश को बचाने वो,
 पत्थरों को सह रहे,
पंचम काल की महामारी को,
तुमको पार लगाना होगा,
मुनि धर्म की रक्षा हेतु,
भगवन तुमको आना होगा... *भगवन तूमको आना होगा* #तात्कालिक_रचना  #Ar
arpitjain5113

ARpit Jain

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