Nojoto: Largest Storytelling Platform

यूँ तो मरना भी अलग मुमकिन नही मगर एक उम्र जुदा ह


यूँ तो मरना भी अलग मुमकिन नही  मगर एक उम्र जुदा होके अब जीना होगा
जाने वाला कह जाता कम से कम इतना तो मेरी ज़ीस्त का कुछ  सामान होता
बिछड़ने वाले से महशर में मिलना हो शायद, बस वहीं  मिलने का अब इंतेज़ार  होगा
जाते जाते दे जाता कोई सुराग़ अगर तलाशना इस दहर में फिर कितना आसां होता
 10/10/20
ज़ीस्त- life
महशर - the day of judgement
YourQuote Baba

यूँ तो मरना भी अलग मुमकिन नही  मगर एक उम्र जुदा होके अब जीना होगा
जाने वाला कह जाता कम से कम इतना तो मेरी ज़ीस्त का कुछ  सामान होता
बिछड़ने वाले से महशर में मिलना हो शायद, बस वहीं  मिलने का अब इंतेज़ार  होगा
जाते जाते दे जाता कोई सुराग़ अगर तलाशना इस दहर में फिर कितना आसां होता
 10/10/20
ज़ीस्त- life
महशर - the day of judgement
YourQuote Baba