तुम तो अभी पास नहीं हो मेरे पर सर्द हवाओं में छुअन तुम्हारी ही है गुज़रती हैं जो अनायास छूकर मुझे एहसास तुम्हारा ही देती हैं सिकुड़ती हूँ लजाकर वैसे ही जैसे बाँहों की अठखेलियाँ तुम्हारी ही हैं लौट भी आओ प्रियतम पास मेरे अब नहीं गुज़रती रात अकेली है! 🌹 🎀 Challenge-236 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 50 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।