सफ़ेद चादर की दाग (भाग - २) ये मैला चादर को , ओढ़ा हूं अभी भी। मैला मन को , संभाले हूं अभी भी। आशा की लौ जलाए हुए हूं। आशा की प्रकाश बचाए हुए हूं।। वक़्त बुरा मेरा अभी हैं, वक़्त तेरा भला अभी हैं। कौन जाने सफ़ेद चादर पुनः मेरे पास हो आए। तू हस्ता हैं मुझ पर आज , किया पता कल हम तुझ पर हस जाए। अहंकारी का अहंकार टूटेगा मानव को तब प्रेम मिलेगा।। सफ़ेद चादर की कहानी सुनो। सुनो विकारों की ज़ुबानी सुनो।। ...कवि सोनू # कहानी#चादर#की#भाग#२