किसलय मुस्कयानों के ज़ब भर जाते हैं क्यारी में रंग निखर आते हैं नेहिल नयनों की फुलवारी में मन का पंछी गा उठता है ऋतु की इस लयकारी में खिल उठता है मृदु वसंत ललित मुदित अँगनारी में #toyou#yqlove#yqspring#yqtogetherness#yqJPM