|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10
।।श्री हरिः।।
10 – अचौर्य
श्रीपशुपतिनाथ का दर्शन तब इतना सुलभ नहीं था जितना आज हो गया है। तब पक्की सड़क नेपाल तक नहीं बनी थी। कुछ दूर रेलवे यात्रा, कुछ दूर मोटरों से और फिर पैदल।
मुझे कल्पना भी नहीं थी कि रेलवे इंजिन में पत्थर के कोयले के स्थान पर लकड़ी का ईंधन उपयोग करने से क्या कठिनाई आती होगी। शिवरात्रि के अवसर पर कुछ दिनों के लिए तीर्थयात्रियों को भारत से काठमांडु जाने की बिना छानबीन अनुमति दी जाती है। वैसे ही अनुमति-पत्र उस समय भी दिये गये; और उन्हें एक नेपाली अधिकारी ने उदारतापूर्वक सबको बाँट दिया। मार्ग में एक स्थान पर अनुमति-पत्र को जाँच भी साधारण ही हुई।