पचपन को हैम खिलौनों में बिताया करते थे, गुड़िया को अपनी दुल्हन बताया करते थे, जीवन बिताया उन खिलौनों को देख कर, रहे गया जीवन खुद खिलौना बन कर रहे गया जीवन खुद