कैसा ये नूतन वर्ष है, किस बात का ये हर्ष है परिवर्तन ऐसा क्या हुआ कि वर्ष नूतन हो गया पतझड़ के सूखे पत्र सा जीवन शिशिर में कांपता तेजोमयी है सूर्य जो कुहासे से वो झांकता न प्रभात में वो उमंग है, न गूँजता विहंग है निस्तब्ध नीरव सी धरा, न उसमें ही सतरंग है है संस्कृति ये भारत की, उत्सव जुड़े प्रकृति से उल्लास उसमें ही नहीं, भला नववर्ष ये कैसे मने हो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, तू ईशवन्दन कर सदा कर मस्तक पर मंगलतिलक,नवसंवत ये अपना मना अनुसरण संस्कृति का हो, इसमें जीवन का निष्कर्ष है तू गर्व कर हे भारती, तेरा इससे ही उत्कर्ष है।। #New Year #YQdidi #YQbaba Dedicated to Rashtrakavi Dr. #Ramdhari Singh Dinkar ji #Life #Bharat