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तुम तेरे आंगन की वो धूप, ढलने लगी है तेरे चाँद की

तुम

तेरे आंगन की वो धूप,
ढलने लगी है
तेरे चाँद की रोशनी,
धटने लगी है
तेरा चेहरा यादो से,
अब मिटने लगा है।

तुम तेरे आंगन की वो धूप, ढलने लगी है तेरे चाँद की रोशनी, धटने लगी है तेरा चेहरा यादो से, अब मिटने लगा है।

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