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"हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़

"हमेशा नए लगना"
बारिश में भीगे कपड़े की तरह,
निचोड़ कर हृदय ,
जब देखो दोनों हाथों के बीच,
पानी की तरह दर्द 
निचोड़कर बाहर आना !
फिर धूप में सुखाए कपड़े की तरह,
सूखा आना!
और झूठी हँसी की इस्त्री कर,
गम के सिलवटों को हटाकर,
नई निशान के साथ,फिर से चल पड़ना।
जहाँ लोगो को हमेशा नए से  लगो।

©दीपा साहू "प्रकृति"
  #Prakhar_ #deepliner #love  #Pain #intejar #poetry 
"हमेशा नए लगना"
बारिश में भीगे कपड़े की तरह,
निचोड़ कर हृदय ,
जब देखो दोनों हाथों के बीच,
पानी की तरह दर्द 
निचोड़कर बाहर आना !
फिर धूप में सुखाए कपड़े की तरह,

#Prakhar_ #deepliner love #Pain #intejar #Poetry "हमेशा नए लगना" बारिश में भीगे कपड़े की तरह, निचोड़ कर हृदय , जब देखो दोनों हाथों के बीच, पानी की तरह दर्द निचोड़कर बाहर आना ! फिर धूप में सुखाए कपड़े की तरह,

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