ठंड के मौसम में अंगेठियों के जश्न होते हैं साल भर से क़ैद हुई रजाईयां बाहर आकर लेती हैं अंगड़ाइयां सब बन जाते है मोटे मोटे पहनते हैं कितने सारे पोशाकें गरम चाय कि प्याली जमी हुई बोली याद दिलाती है दिसंबर कि पहेली चेहरे ऐसे ढके हो...जैसे हो नई नवेली धुंध होती है सरताज धीमी धीमी हवा इसकी आवाज़ बिना सर्द के ज़िन्दगी अधूरी और इसके बिना वसंत को कैसे मिलेगी मंजूरी #winter #winterquote #winterseason #yqdidi #yqhindi #yourquotedidi #yqhindipoetry #brainheartsoul