रास्ते भले ही बदले हो हमने, पर मंजिल पर पहुँचना आज भी बाकी है। ऊबर खाबर पगडंडियो पर भले ही फिसले हो हमारे पैर, पर चलने की ललक आज भी बाकी है। वक़्त की भागदौर में रुक गया है कारवां, पर सपनो की भवर से निकलना आज भी बाकी है। रुकी थकी यादों में डूबा जरुर हूँ मैं, लेकिन उन पर लहरों का उठना आज भी बाकी है। थके थके से लगते है ये कदम मेरे, लेकिन दिल में हौसला आज भी बाकी है। आज भी बाकी है।..✍️ Lakshmi singh