मनुष्य को उसके क्रोध की एक चिंगारी भी, खुद उसे ही भीतर से जलाती है। और क्रोध में बोले गए कठोर शब्दों से, वो दूसरे के ह्रदय को भी आहत करते है। इसलिए जब एक व्यक्ति क्रोध की अग्नि में जल रहा हो तो दूसरे को जल की तरह शीतल बनना चाहिए। तभी उस क्रोध का अंत हो पायेगा। ©®राधाकृष्णप्रिय Deepika #BoneFire #क्रोध #अग्नि #गुस्सा #सुविचार #सकारात्मक_विचार #सकारात्मक_सोच #धैर्य #शीतलता #जल