आन पड़ी है बिपदा भारी, लाज राखो हे कृष्ण मुरारी, ना करा छल हमने किसी से, देखो तुम तो सब त्रिपुरारी। फिर क्यूँ भारी परीक्षा ली, फिर क्यूँ दिया ये कष्ट बनवारी, आन पड़ी है बिपदा भारी, लाज राखो हे कृष्ण मुरारी। पीड़ा अपार उठे हे मोहन, कृपा दृष्टि करो तुम्हारी, काटा कष्ट नरसी का सोहन, भात भरा नानी का भारी, भगत सुदामा के तुम ही तो हो, कष्ट हरता पालनहारी, आन पड़ी है बिपदा भारी, लाज राखो हे कृष्ण मुरारी। विनाश किया जिसने कंस का,हो तुम वो ही तो बलशाली, करो दृष्टि कृपा की त्रिभुवन, दो सहनशक्ति हे श्याम रंग धारी, पतवार हमारी बनो अब भगवन, नैय्या पार तारो हमारी आन पड़ी है बिपदा भारी, लाज राखो हे कृष्ण मुरारी,