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इक वादा किया था तुमने की आऊंगा उस नवम्बर में, वो स

इक वादा किया था तुमने की आऊंगा उस नवम्बर में,
वो साल तो बीत गया,अब दूसरा वादा इस दिसम्बर में।

ऐसे ही तुम्हारा किया हुआ हर इक वादा झूठा था,
अनगिनत तारों में से अभी एक ही तारा टूटा था।

गिरा था मेरे आँचल में वो,तुम्हारी नफ़रत की निशानी थी,
गिला भी कैसे करूँ मैं,वो दूर नक़्ल-ए-मकानी थी।

बिखरे थे जब फूल बागों में,वो रात बहुत पुरानी थी,
लिखा जो मैने ख़त,आँसु में भींगी कहानी थी।

खुश्बु आती थी तुम्हारी हर चीज़ों से,दराज़ में उसे छिपा दिया,
आँखे छलक जाती थी उसे देखकर,पर दिल को सज़ा दिया।

मेरी हर खुशियों का,ज़नाज़ा तुमने निकाल दिया,
मैं ठहरी बहता पानी,मुझे बर्फ़ में तूने ढालदिया।

आएगा मौसम लौटकर ,बस कुछ पल इंतिज़ारी करो,
मुहब्बत में दग़ा दी है,सितम अब ईमानदारी से करो।

वक़्त भी गुज़र गया,फिर से तेरा इंतेज़ार है,
ये दिल फिर से टूटने के लिए,आज भी तैयार है।

©Muskan Singh Follow 👉🏻@muskansingh_official_ 
#jhootitasalli🥺
#expectation🙏🏻
#jhootiummid😒
#beinghuman
इक वादा किया था तुमने की आऊंगा उस नवम्बर में,
वो साल तो बीत गया,अब दूसरा वादा इस दिसम्बर में।

ऐसे ही तुम्हारा किया हुआ हर इक वादा झूठा था,
अनगिनत तारों में से अभी एक ही तारा टूटा था।

गिरा था मेरे आँचल में वो,तुम्हारी नफ़रत की निशानी थी,
गिला भी कैसे करूँ मैं,वो दूर नक़्ल-ए-मकानी थी।

बिखरे थे जब फूल बागों में,वो रात बहुत पुरानी थी,
लिखा जो मैने ख़त,आँसु में भींगी कहानी थी।

खुश्बु आती थी तुम्हारी हर चीज़ों से,दराज़ में उसे छिपा दिया,
आँखे छलक जाती थी उसे देखकर,पर दिल को सज़ा दिया।

मेरी हर खुशियों का,ज़नाज़ा तुमने निकाल दिया,
मैं ठहरी बहता पानी,मुझे बर्फ़ में तूने ढालदिया।

आएगा मौसम लौटकर ,बस कुछ पल इंतिज़ारी करो,
मुहब्बत में दग़ा दी है,सितम अब ईमानदारी से करो।

वक़्त भी गुज़र गया,फिर से तेरा इंतेज़ार है,
ये दिल फिर से टूटने के लिए,आज भी तैयार है।

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Muskan Singh

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