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दिन भर के भारी कामों से थका हुआ मनुष्य जैसे नींद क

दिन भर के भारी कामों से थका हुआ मनुष्य जैसे नींद की चाह करता है उसी प्रकार समझदार व्यक्ति मृत्यु से भय न रखकर उसे समझपूर्वक आमंत्रित करके आत्मा में आराम पाता है। फकीरी मौत ही असली जीवन है। फकीरी मौत अर्थात् स्वयं के अहं की मृत्यु.... स्वयं के जीवभाव की मृत्यु.....।
 #Bapuji #बापुजी
दिन भर के भारी कामों से थका हुआ मनुष्य जैसे नींद की चाह करता है उसी प्रकार समझदार व्यक्ति मृत्यु से भय न रखकर उसे समझपूर्वक आमंत्रित करके आत्मा में आराम पाता है। फकीरी मौत ही असली जीवन है। फकीरी मौत अर्थात् स्वयं के अहं की मृत्यु.... स्वयं के जीवभाव की मृत्यु.....।
 #Bapuji #बापुजी