खैर छोड़ो, चाय की चुस्की ना बहुत कुछ कहानियां बुन देती है तो कभी कभी दिल में उठ रहीं उदासी के आलम को शांत कर देती है / Full Piece In Caption / चाय की आदत या फ़िर आदत की चाय यह सवाल अक्सर मुझे गहरे चिंतन करने पर मजबूर कर देता पर क्या करें सवालों के शहर में बेवफ़ाई ज्यादा मशहूर हैं और फिर टूटे हुए दिल तो मरहम के मोहताज इतने जल्दी कहा होते है लेकिन दिल ना जाने क्यों बस खिड़की से आती कभी हल्की धूप तो कभी छांव तो कभी सौंधी सी मिट्टी की खुशबू तो कभी जायके की तो कभी पुराने गीत तो कभी दबी हुई खुशियों के तूफ़ान की आवाज़ पर ही अटक सा जाता है