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एक और बात घुली है, आज इस परिवेश में, दिग्भ्रमित मन

एक और बात घुली है, आज इस परिवेश में,
दिग्भ्रमित मनुष्य, अविवेक लिप्त आवेश में,

जाने कब मिलेगी, परिपक्वता की ठंडी छांव ।

✍🏻© Anjula Singh Bhadauria
📜PoetryArtist🎨 #triveni #त्रिवेणी
एक और बात घुली है, आज इस परिवेश में,
दिग्भ्रमित मनुष्य, अविवेक लिप्त आवेश में,

जाने कब मिलेगी, परिपक्वता की ठंडी छांव ।

✍🏻© Anjula Singh Bhadauria
📜PoetryArtist🎨
एक और बात घुली है, आज इस परिवेश में,
दिग्भ्रमित मनुष्य, अविवेक लिप्त आवेश में,

जाने कब मिलेगी, परिपक्वता की ठंडी छांव ।

✍🏻© Anjula Singh Bhadauria
📜PoetryArtist🎨 #triveni #त्रिवेणी
एक और बात घुली है, आज इस परिवेश में,
दिग्भ्रमित मनुष्य, अविवेक लिप्त आवेश में,

जाने कब मिलेगी, परिपक्वता की ठंडी छांव ।

✍🏻© Anjula Singh Bhadauria
📜PoetryArtist🎨