हम हर कदम पर गिर गिर के संभलते कभी एक मकान सा ठहर जाते तो कभी पवन के वेग से चलते कभी हिम सी राहत देने वाले है तो कभी खुद में ज्वाला सी जलते हम हर कदम पर............. क्यों अब ये जिंदगी नहीं रास आती मौत का आना जाना यू लगा है जैसे कंठ से आती श्वास जाती हर कदम संघर्ष है , ना जाने ये कैसा वर्ष है हर खुशी खुद में खुद को अब निराश पाती मौत का आना यू............... है समय अब भी अब ना कोई दुष्कर्म करे राह पर चलना है तो अब सत्कर्म की चले जो करे वो हो उजागर अब ना कोई मर्म पले जीवन में थोड़ी कठिनाई ही सही मगर अब ना कभी प्रकृति की चर्म जले है समय अब भी अब ना........... #prateek #bajpai #prateekshayri #bajpai #prateekquoets #prateekthought #prateekoffical #prateek #shayri