बेरंग सी हो गई जिंदगी ये जिंदगी किस काम की। जो रंग ना सके जिंदगी वो होली किस काम की । रंग तो मिल जाते है रंग के साथ.. हम कब मिले गे समाज के साथ । धर्म, जात, पंथ के नाम पे हम एक दुसरे को निचा दिखाते। उसका रंग फिका पडे ना ईसलिए खुद का रंग छोड देंगे। उसके के अस्तित्व के लिए खुद का अस्तित्व मिटा देंगे। हम से अच्छे तो वो रंग है , जो एक दुसरे का साथ निभायगे । #समाज #सुधारक #होली